जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक आपदाओं का विशेषकर बाढ़ एवं सूखे जोखिम लगातार बढ़ते जा रहा है। आईआईटी गुवहाटी बेंगलुरू तथा सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस टेक्नोलॉजीज एंड पॉलिसी ने देश के जिले स्तरीय जलवायु जोखिम मूल्यांकन के अध्ययन मे पाया कि बिहार असम बंगाल ओड़िसा सहित आठ राज्यों के इक्यावन जिलों मे बाढ़ का जोखिम अधिक है। बिहार झारखंड महाराष्ट्र सहित दस राज्यों कै इक्यावनबें जिलों मे सूखे का जोखिम अधिक है। बिहार का पटना एवं वैशाखी तथा केरल के अलपुझा सहित 11 जिले जिनमे बाढ़ एवं सूखे दोनो तरह के जोखिम बहुत अधिक हैं। बाढ़ या सूखे के जोखिम वाले इन जिलों मे आपदाओं के आने की आशंका ही नही बल्कि इन जिलों के नुकसान से भी अधिक मुसीबत झेलना पड़ सकता है। जलवायु जोखिम रिपोर्ट मे देश भर के जिलों को बाढ़ सूखे के जोखिम को 5-5 श्रेणियों मे विभाजित किया गया है। रिपोर्ट मे देश के 118 जिलों को बाढ़ के अधिक जोखिम श्रेणी मे और सूखे के लिए 188 जिलों को अधिक जोखिम वाले श्रेणी रखा गया है। विगत तीन वर्ष पहले संसथाओं के इसी समूह ने जलवायु परिवर्तन की संवेदनशील सूचकांक तैयाय किया था। आईआईएससी बेंगलुरू के प्रोफेसर रविंदन जी का कहना है कि इस रिपोर्ट का महत्व यह है कि राज्य अपने सबसे अधिक जोखिम वाले जिलों को लेकर आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने की रणनितियां तय कर सकते है।महाराष्ट्र के तीन जिलों ठाणे, बीड़ और बुलढाणा मे सूखे का जोखिम हो सकता है।
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